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भगवान की लीला अपरंपार है। पूरे साल भर भक्त भगवान के दर्शन करने उनके मंदिर में जाते हैं लेकिन सालभर में एक दिन ऐसा भी आता है जब भगवान रथ पर विराजमान होकर अपने भक्तों को दर्शन देने स्वयं चले आते हैं। इस्कॉन द्वारका श्री श्री रुक्मिणी द्वारकाधीश मंदिर में 7 जुलाई को शाम साढ़े चार बजे रथ यात्रा निकाली जा रही है। वर्षों से प्रचलित जगन्नाथ पुरी की विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा भी इसी दिन निकाली जाएगी। इस दिन भगवान अपने गर्भगृह से बाहर निकलकर भक्तों को दर्शन देने आते हैं और जो उनके द्वार तक नहीं जा पाते हैं उनको दर्शन देने वे स्वयं अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा महारानी के साथ रथ पर विराजमान हो कर आते हैं। अधिकांश इस्कॉन मंदिरों में लगभग इन्हीं दिनों रथ यात्रा निकाली जाती है।
भगवान के इस प्रेम को भक्तगण पूर्ण उत्साह के साथ स्वीकार करते हैं और उनका स्वागत करने भव्य सजावट करते हैं, भक्तों में प्रसाद बाँटते हैं और रथ यात्रा में सम्मिलित होकर रथ की रस्सी खींचते हैं। कहते हैं भगवान जगन्नाथ के रथ की रस्सी खींचने से उनकी विशेष कृपा मिलती है।
इसीलिए भक्तगण भगवान का रथ खींचने के लिए साल भर इंतज़ार करते हैं और अपने जीवन में शुभ फलों की कामना करते हैं।
रथ यात्रा के महत्व के बारे में शास्त्रों में वर्णन किया गया है कि—
रथस्थं वामनं दृष्ट्वा पुनर्जन्मम न विद्यते…
अर्थात अगर हम रथ यात्रा उत्सव के दौरान भगवान जगन्नाथ को रथ पर देखते हैं, तो हमें फिर से पुनर्जन्म नहीं लेना पड़ेगा यानी जन्म-मृत्यु के चक्कर से छुटकारा मिल जाता है। उत्सव में भगवान के रथ के समक्ष गीत-संगीत और नृत्य-संकीर्तन का आकर्षण भी रहेगा और जगन्नाथ पुरी तर्ज पर स्वादिष्ट उड़िया व्यंजनों से भगवान को भोग अर्पण किया जाएगा