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आधिवास समारोह जन्माष्टमी महोत्सव से एक दिन पहले मनाया जाता है। यह भक्तोकी सेवा भावना का प्रतीक है। इस दिन, सुबह में एक बहुत ही विशेष नरसिंह यज्ञ होगा ताकि भगवान नरसिंहदेव की आशीर्वाद प्राप्त किया जा सके। भक्तगण इसमें भाग लेंगे और अग्नि पर हर आहुती के साथ, वेदिक मंत्रों का नियमित उच्चारण होगा।
भक्तगण भगवान नरसिंह देव, भक्तों के रक्षक,से प्रार्थना करेंगे कि जन्माष्टमी महोत्सव को उचित भावना और जन्माष्टमी के दौरान मंदिर आने वाले लाखों मेहमानों की खूबसुरत तरीकेसे सेवा करसके, जिससे भगवान प्रसन्न हो सके। इसके साथ ही, भक्तगण भगवान श्री कृष्ण से भी क्षमा मांगते हैं, पिछले साल जन्माष्टमी उत्सव के दौरान और इस साल जन्माष्टमी के तैयारी के दौरान किए गए किसी भी गलती/अपराध के लिए।
भगवान नरसिंह देव को प्रार्थना करने के बाद, भक्त आपस में एक पवित्र धागा बांधते हैं जो की रक्ष्या का प्रतीक हे और भक्तों को भगवान की सेवा करते समय और उस दिन आने वाले अत्याधिक अतिथियों की सेवा करते समय गलतियों या अपराधों से बचाने में मदद करता है।
भक्त इस दिन, जन्माष्टमी के एक दिन पहेले, उपहार के साथ दूर दूर से आते हैं और उपहारों का आपसी विनिमय होता है। उत्तरदान के रूप में, भगवान महाप्रसाद के रूप में आशीर्वाद देते हैं।
आधिवास समारोह के दौरान, 27 विभिन्न शुभ वस्त्रों का एक सुंदर सरवर प्रेम भाव से भगवान के सामने प्रस्तुत किया जाता है। इनमें पवित्र गंगा नदी से लाए गए पवित्र मिट्टी, गंध (चंदन पेस्ट), धान की फसल, दूर्वा घास, और अन्य वस्त्र शामिल होते हैं, जिन्हें शुभता के प्रतीक के रुपमे भगवान के सामने दिखाया जाता है।
इसके अलावा, अगले दिन भगवान को पहेनाए जानेवाले नए वस्त्र और आभूषण भगवान के सामने प्रस्तुतन किया जाएगा । यह विशेष वस्त्र और आभूषण भगवान श्री कृष्ण को जन्माष्टमी पर प्रस्तुत किए जाने वाले भव्य प्रस्तुतिकी एक झलक प्रदान करते हैं, जिन्हें उनके दिव्य प्रकट्य के दिन प्रस्तुत किया जाएगा। एक रूप में, यह भगवान से पूछने का एक तरीका है कि क्या वह उन वस्त्रों और आभूषणों को पसंद करते हैं, जो जन्माष्टमी के दिन प्रस्तुत किए जाएंगे, और उनकी स्वीकृति के बाद, उन्हें जन्माष्टमी के दिन पहनाए जाएंगे।
कई भक्त जिनके घर पर भगवान हैं (विग्रह रुपमे), वे मंदिर में अधिवास समारोह के लिए नई पोशाक और आभूषणों का सेट लाएंगे और उनी पोशाकों और आभूषणों को वापस अगले दिन अपने विग्रहको पहेनाएंगे ।
संक्षेप में, अधिवास समारोह सेवा, प्रार्थना, आशीर्वाद, कृतज्ञता, प्रेम और खुशी का त्योहार हे जो इस्कॉन द्वारका मंदिरमे बहुत हि धूमधामसे मनाया जराहा हे ।
Sunny Kumar,
Radio Dwarka,
India’s First Online Community Radio,
7 September 2023, Thursday