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जब अन्य लोगों के साथ गोविंद रघुनाथ (Govind R Dabholkar) द्वारकामाई मसजिद गए, तब बाबा ने काकासाहेब को संबोधित कर प्रश्न किया कि साठेवाड़ा में क्या चल रहा था? किस विषय में विवाद था? फिर गोविंद की ओर दृष्टिपात कर बोले कि इन 'हेमाडपंत' ने क्या कहा। ये शब्द सुनकर गोविंद अचम्भा हुआ। साठेवाड़ा और मसजिद में पर्याप्त अन्तर था। सर्वज्ञ या अंतर्यामी हुए बिना बाबा को विवाद का ज्ञान कैसे हो सकता था?
When Govind Raghunath Dabholkar (गोविंद रघुनाथ) along with others went to Dwarkamai Masjid, Baba addressed Kakasaheb and asked what was going on in Sathewada? What was the dispute about? Then looking at Govind, he said what did this 'Hemadpant' say. Govind was surprised to hear these words. There was a substantial distance between Sathewada and Dwarkamai Masjid. How could Baba have knowledge of the dispute without being omniscient?
प्रसंग - साईं सच्चरित्र के त्रयोदश आवरति १९९४