मन्त्र क्या होते हैं और उनके प्रकार? | जीवन बदलते हैं मन्त्र 2 | डॉक्टर श्रीराम आचार्य
जिसका गुप्त रूप से वाचन किया जाए तथा जिसका मनन करने से मनुष्य का कल्याण होता है, वह मन्त्र है। मन्त्र हमें वेदों, पुराणों तथा अन्य शास्त्रों से प्राप्त होते हैं। शास्त्रों के अनुसार मन्त्र ही देवता हैं अर्थात् देवताओं की जो शक्ति है वह मन्त्रों द्वारा जाग्रत की जा सकती है। प्रायः देवता तीन प्रकृति के होते हैं-सात्विक, राजसी और तामसिक। इनके अनुसार ही मन्त्र भी इन्हीं तीन प्रकृति के होते हैं। साधना के उद्देश्य, देवता की प्रकृति और मन्त्र की प्रकृति के अनुसार विचार कर ही मन्त्र ग्रहण करना चाहिए।
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अगले episode में हम जानेंगे कि मन्त्र जप करने पर भी उनका फल क्यों नहीं मिलता है और मन्त्र साधना करते समय किन-किन नियमों का पालन करना चाहिए जिससे कि हमें उसका पूरा पूरा फल मिल सके।
कौन हैं डॉक्टर श्रीराम आचार्य
डॉ.श्रीराम आचार्य, राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय, जयपुर द्वारा प्रमाणित सिद्धांत-गणित ज्योतिषशास्त्र एवं फलित ज्योतिषशास्त्र में आचार्य हैं तथा ज्योतिष शास्त्र में Ph.D. हैं। इस क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रतिभा के कारण आप महामहिम राज्यपाल, राजस्थान द्वारा स्वर्ण पदक(Gold Medal) से सम्मानित हैं।
• ज्योतिष, वास्तु एवं अध्यात्म के क्षेत्र में आपके परिवार की कई पीढ़ियों का परंपरागत(Traditional) योगदान रहा है।
• आपके दादाजी 95 वर्ष की आयु में आज भी इस क्षेत्र में यथाशक्ति जनसेवा करते हैं।
• आपके पिताजी डॉ. भोजराज शर्मा 'आचार्य' ज्योतिषशास्त्र के सेवानिवृत्त आचार्य(Retired Professor) हैं।
• आपको दिल्ली-सरकार एवं अन्य प्रतिष्ठित संस्थाओं द्वारा समय-समय पर पुरस्कृत किया जाता रहा है।
• आप ज्योतिष, वास्तु एवं अध्यात्म से संबंधित राष्ट्रीय एवं विश्वस्तरीय सम्मेलन, सेमिनार एवं संगोष्ठीयों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
• देश-प्रदेश के प्रतिष्ठित समाचार पत्रों, मैगज़ीन एवं रिसर्च-जर्नल्स में आपके लेख समय-समय पर प्रकाशित होते रहते हैं। इनके माध्यम से न केवल ज्योतिषशास्त्र और साधना के कल्याणकारी आयामों के बारे में बताते हैं बल्कि ज्योतिषशास्त्र के बारे में गलत धारणाओं और अंधविश्वास रखने वाले लोगों को जागरूक करते हैं।
• दिल्ली सरकार में संस्कृत शिक्षक के रूप में बच्चों को संस्कृत के श्लोकों द्वारा विशेषतया नैतिक शिक्षा देने में रुचि रखते हैं।
• शास्त्रों में निहित मानवीय मूल्यों एवं जीवन को उन्नत बनाने वाली शिक्षाओं को ग्रहण करने के लिए तथा उनसे जनसामान्य को लाभान्वित के लिए तत्पर रहते हैं।
• आपके वक्तव्य संस्कृत में लिखे गए मूल शास्त्रों तथा प्राचीन ग्रंथों पर आधारित होते हैं।
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15 July 2020, Wednesday