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कल, दिनांक 22 नवम्बर, 2024 को भोजपुरी रंगमंच को समर्पित नाट्य संस्था रंगश्री ने अपनी नवीन प्रस्तुति, भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के जीवन पर आधारित भोजपुरी नाटक 'देशरत्न' का जोरदार मंचन किया। यह आयोजन मैथिली भोजपुरी अकादमी, दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में एल.टी.जी. आडिटोरियम में शाम 6.30 बजे हुआ, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व सांसद, राज्यसभा श्री आर. के. सिन्हा उपस्थित थे।
नाट्यलेख श्री अभिजीत चक्रवर्ती का था, जिसे भोजपुरी में रूपांतरित और निर्देशित किया था भोजपुरी के जाने-माने रंगकर्मी और रंगश्री के संस्थापक श्री महेन्द्र प्रसाद सिंह ने।
नाटक में दिखाया गया कि बचपन से ही राजेन्द्र बाबू की माँ उन्हें रामायण और महाभारत की कहानियाँ सुनाया करती थीं। उनकी शुरुआती शिक्षा फारसी में हुई, उसके बाद वे पटना और फिर कलकत्ता पढ़ने गए। राजेन्द्र बाबू सादगी की मूरत थे और इतने होनहार विद्यार्थी थे कि उनके कॉपी जाँच रहे परीक्षक ने उत्तर पुस्तिका में लिखा था, 'परीक्षार्थी कहीं परीक्षक से बेहतर है।'
हालाँकि उनकी मातृभाषा भोजपुरी थी, लेकिन उन्हें हिन्दी से विशेष प्रेम था। उन्होंने महात्मा गांधी जी के साथ मिलकर हर आन्दोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, जेल गए और अंग्रेजों की लाठियाँ खाईं। जब भारत आज़ाद हुआ, तब संविधान बनाने के लिए गठित कंस्टिट्यूएंट एसेम्बली के अध्यक्ष के रूप में डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को चुना गया।
इस नाटक में करीब 30 कलाकारों ने भाग लिया। राजेन्द्र प्रसाद की भूमिका में क्रमशः ओजस्विनी, उत्सव, और सौमित्र वर्मा ने अभिनय किया। महेन्द्र प्रसाद और गांधी की भूमिका में सौरभ कुमार, बादशाह की भूमिका में सौमित्र वर्मा, वजीर और देवी प्रसाद की भूमिका में विजय यादव, अब्दुल, रसिकलाल और रामनौमी बाबू की भूमिका में अखिलेश कुमार पाण्डेय, क्लर्क की भूमिका में महेन्द्र प्रसाद सिंह, स्कूल प्रिंसिपल और धरनीधर बाबू की भूमिका में मुन्ना कुमार, योगेन्द्र और सूत्रधार की भूमिका में गौरव प्रकाश, गिरीश की भूमिका में अशोक यादव, नौकर की भूमिका में रूस्तम कुमार, मौलवी की भूमिका में दीपक कुमार सिंह, गंगा की भूमिका में शिविका सिंह, जमुना की भूमिका में रिशान वशिष्ट, सचिव की भूमिका में मुस्तहिर फैज, अंग्रेज प्रिंसिपल की भूमिका में अखिलेश कुमार पाण्डेय, और किसान की भूमिका में क्रमशः सत्यदेव सिंह, रूस्तम कुमार, प्रणय पहुजा, शत्रुध्न सिंह ने अपने अभिनय से दर्शकों का दिल जीत लिया। मंच के परे प्रकाश संरचना संदीप ने की, जबकि पार्श्व ध्वनि/संगीत प्रभात रंजन ने दिया।
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